अनुशासन
व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने के लिए अनुशासित रहना आवश्यक है। अनुशासन से मानवता का सीधा सम्बन्ध है। यह एक-दुसरे के बिना अर्थहीन है। आत्मानुशासन अपनाकर मनुष्य देवत्व को प्राप्त कर सकता है।अनुशासन एक शक्तिपुंज है। बिखराव का जीवन सामर्थ्यवान को असमर्थ कर देता है। अनुशासनविहीन समाज की कल्पना करने से ही मस्तिष्क में अराजकता की एक तस्वीर उभर आती है। स्वार्थप्रधान द्रष्टिकोण का बोलबाला रहता है, सभ्यता कोसों दूर छूट जाती है। भला ऐसे समाज या वातावरण में सहृदय मानव का निर्वाह क्या संभव होगा?
मानव एक सामाजिक प्राणी है और वह अपने अनुकूल सामाजिक सरंचना चाहता है। continue ..
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