धर्म को विक्रतिहीन करके उसकी मौलिक चमक प्रदान करने के लिए आगे आना एक नितांत साहसपूर्ण कदम होता है और यह कार्य बिरले ही कर पाते हैं। इसे बड़े विवेक, धैर्य और संयम से फलीभूत करके गुरु नानक देव जी ने युग की धारा को मोड़ दिया और अज्ञान
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